हिमाचल प्रदेश के लोक-गीत | Folk Songs of Himachal Pradesh in Hindi

 
हिमाचल प्रदेश के लोक-गीत | Folk Songs of Himachal Pradesh in Hindi
हिमाचल प्रदेश के लोक-गीत | Folk Songs of Himachal Pradesh in Hindi


हिमाचल प्रदेश के लोक-गीत | Folk Songs of Himachal Pradesh in Hindi

किसी भी समाज का स्वस्थ विकास उसकी अपनी सांस्कृतिक धरोहर और परम्पराओं के संरक्षण पर निर्भर करता है, जो लोग इस दिशा में प्रयास करते हैं, समाज में उनका उच्च स्थान होता है! हिमाचल प्रदेश के लोक-गीत इस पर्वतीय राज्य में रहने वाली जनता की संस्कृति और सभ्यता की अभिव्यक्ति को प्रकट करते हैं! इस प्रदेश के लोकगीत विविधतापूर्ण हैं और उनमें हिमाचली पारम्परिक संस्कृति की झलक आज भी देखने को मिलती है! प्रदेश में आज भी हर्षोल्लास से सांस्कृतिक कार्यक्रमों व विवाह शादियों में लोक-गीत गाए जाते हैं!

TOTAL COOKING द्वारा प्रस्तुत लेख में हम हिमाचल प्रदेश के लोक-गीत | Folk Songs of Himachal Pradesh in Hindi आपको हिमाचल प्रदेश में गाए जानें वाले लोकगीतों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं! आज भी देश विदेशों में हिमाचली संस्कृति का डंका बजता है और यहां पर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे जन्म, वर्षगाँठ, मुण्डन, शादी समारोह के अलावा अन्य मंगल और प्रेम विषयक गीत आज भी गाए जाते हैं!

आइए एक नजर डालते हैं की हिमाचल प्रदेश के लोकगीत कौन-कौन से हैं?

हिमाचल प्रदेश के लोक-गीत-Himachal Pradesh ke Lokgeet:

हिमाचल प्रदेश राज्य में गाए जाने वाले  लोकगीतों का वर्गीकरण निम्नलिखित तरह से है:

1.पारंपरिक संस्कार तथा परिवार विषयक लोक-गीत:

हिमाचल प्रदेश में पारंपरिक संस्कार कथा परिवार विषयक लोकगीत आज भी गाए जाते हैं जब कभी भी यहां पर जन्म, वर्षगाँठ, मुण्डन आदि पारंपरिक संस्कार मनाते हैं तो गांव की महिलाओं द्वारा पारंपरिक लोक गीत गाए जाते हैं! गाए जाने वाले इन लोकगीतों को 'बिहाइयाँ' कहा जाता है!
 
आधुनिकता के इस दौर में हिमाचल प्रदेश में आज भी लड़के (वर) और कन्या (वधू) के विवाह समारोह में पारंपरिक लोकगीत गाए जाते हैं! गांव की बुजुर्ग महिलाओं द्वारा गाए जाने वाले गीतों को 'सुहाग' कहा जाता है! इन लोकगीतों में कन्या और उसके मायके वालों की सुंदर प्रस्तुति की जाती है!

वहीं दूसरी ओर लड़के (वर) के समारोह में लोक-गीत (Folk Songs of Himachal Pradesh) गाए जाते हैं! यहाँ गाए जाने वाले विवाह समारोह के इन गीतों को पांच भागों में विभाजित किया जा सकता है:

•घोड़ियाँ- लड़के के विवाह समारोह में कन्या पक्ष वालों के साथ रिश्ता तय होने वाले दिन ही लड़के के घर में घोड़ियाँ गाई जाती हैं! बिलासपुर जिला में आज भी यह परंपरा निभाई जा रही है!

•समूत- लड़के के विवाह समारोह की शुरुआत समूत से होती है!

•सान्द- लड़के के विवाह समारोह में बारात प्रस्थान से पहले सान्द होती है!

•सेहरा- लड़के के विवाह समारोह में कन्या पक्ष के घर बरात ले जाने से पहले दूल्हे के सिर पर सेहरा सजाया जाता है!

•अंद्रेरा- जब विवाह समारोह वालों के घर में वधू पक्ष का प्रवेश होता है तो उसे अंधेरा कहते हैं और ग्रामीण महिलाओं द्वारा  पारंपरिक लोक-गीत गाए जाते हैं!


विवाह समारोह की तैयारियाँ होते ही महीने भर पहले से लड़के वाले के यहाँ घोड़ियाँ लोक-गीत गाए जाते हैं जो ग्रामीण महिलाएं  लोक-गीत गाने आती हैं उन्हें गुड़ और चने बांटे जाते हैं!

विवाह समारोह की तैयारियों की द्योतक घोड़ियाँ होती हैं! उसके बाद पण्डितों द्वारा समूत निकाले जाते हैं! लड़के के सगे-सम्बन्धी बटणा मलते हैं! इस अवसर पर गाए जाने वाले गीत समूह गीत कहे जाते हैं!

कन्या पक्ष के घर बारात ले जाने से पहले सान्द वाले दिन दुल्हे के सिर पर सेहरा बांधा जाता है और उसमें भी महिलाओं द्वारा लोक गीत गाए जाते हैं जिन्हे  सोहर गीत कहते हैं!

2.मंगल और प्रेम विषयक लोक-गीत:

हिमाचल प्रदेश में आज भी मंगल और प्रेम विषयक लोकगीत गाए जाते हैं! उदाहरण के तौर पर कुल्लू और कांगड़ा के प्रेम गीत कुंजू-चंचलो वैसे ही प्रसिद्ध है, जैसे हीर-रांझा या ढोला-मारु के प्रेम गीत प्रसिद्ध है!

सिरमौर में झूरी गीत भी बहुत प्रसिद्ध है! मंडी जिले का इलाका 'सिराज की दासी' के नाम पर पारंपरिक लोकगीत प्रचलित हैं, जो मार्मिक प्रस्तुति के लिए प्रसिद्ध है!
बिलासपुर जिले में प्रेम विषयक लोकगीत 'निक्कू और बंतो' भी काफी प्रसिद्ध है और आज भी गाया जाता है! इसके अलावा पराशर धार में गाया जाने वाला लोकगीत 'पणतू' और 'छंजोटी' भी प्रेम विषयक लोकगीत अलौकिक है!

3.ऋतु लोक-गीत:

हिमाचल प्रदेश में गाए जाने वाले ऋतु गीतों में 'छीजे' बहुत प्रसिद्ध लोकगीत है! चैत्र मास में वर्षा के प्रारम्भ के समय मण्डी जिला के इलाके में छीजे घर-घर गूंज उठती हैं! पर्वतीय इलाकों में चैत्र 'उदासी का महीना' माना जाता है! छीजें चैत्र संक्रान्ति से मासान्त में (महीने के अन्त तक) गाई जाती हैं! शीतकाल में चारों ओर पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश में बर्फ का साम्राज्य रहता है और ग्रीष्मकाल के आगमन पर जनजीवन में प्रफुल्लता छा जाती है! ये छीजे केवल  चैत्र मास में ही गाई जाती है और मान्यता है कि अन्य समय इस लोकगीत को गाने पर इनका गायन अपशगुन होता है और वे भाई के लिए अभिशाप बन जाती हैं!

सिरमौर में सांझी के सांस्कृतिक उत्सव को विशिष्ट स्थान प्राप्त होता है! भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन शुक्ल अमावस्या तथा पितृपक्ष में प्रतिदिन गोबर, मिट्टी, रोली, चूना आदि से दीवारों पर विभिन्न प्रकार की कलाकृतियाँ चित्रित की जाती है, जो 'साझी' कहलाती है!
भगवान कृष्ण और गोप-गोपिकाओं द्वारा शाम के समय खेले जाने वाले खेल का नाम साँजी पड़ा, जो बाद में 'साझी' हो गया!



हिमाचल प्रदेश का लोक संगीत हिंदी में- folk music of himachal pradesh in hindi

हिमाचल प्रदेश में गाए जाने वाले पारंपरिक लोक-गीत बहुत ही मधुर और आनंददायक हैं! राज्य में गाए जाने वाले इन लोक-गीतों का विषय सामान्य जीवन से लेकर  धर्म, पुराण, इतिहास और सदियों से चली आई परंपरा आदि सभी से संबंधित हो सकता है! सदियों से हिमाचल प्रदेश में गाए जाने वाले लोक-गीत प्रेम, वीर-गाथाओं, देव-स्तुतियों, ऋतु-प्रभात और सामाजिक बंधनों, सामाजिक उत्सवों आदि से सम्बन्धित हैं! यहां पर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे जन्म, वर्षगाँठ, मुण्डन, शादी समारोह के अलावा अन्य मंगल और प्रेम विषयक गीत आज भी गाए जाते हैं! यहां पर गाए जाने वाले लोक-गीतों में हर्ष और वेदना (joy and pain) दोनों की इनमें अनुभूति होती है!  किसी भी उत्सव, त्यौहार या मेले में लोकगीत गाते समय स्थानीय वाद्य यंत्रों का गायन के साथ प्रयोग किया जा सकता है! राज्य में गाए जाने वाले लोक-गीत एकल, युगल या सामूहिक रूप से गाए जाते हैं!

हिमाचल प्रदेश के लोक गीतों की सूची हिंदी में- list of folk songs of himachal pradesh in hindi:

1. सुहाग- (Suhag):
हिमाचल प्रदेश में होने वाले विवाह समारोह में कन्या पक्ष के घर पर गाये जाने वाले लोक गीतों को 'सुहाग' कहते हैं!

2. बिहाइयां- (Bihaiyan):
हिमाचल प्रदेश में पारंपरिक संस्कार कथा परिवार विषयक लोकगीत आज भी गाए जाते हैं जब कभी भी यहां पर जन्म, वर्षगाँठ, मुण्डन आदि पारंपरिक संस्कार मनाते हैं तो गांव की महिलाओं द्वारा पारंपरिक लोक गीत गाए जाते हैं! गाए जाने वाले इन लोकगीतों को 'बिहाइयाँ' कहा जाता है! 

3. कुंजू-चंचलो- (Kunju-Chanchlo):
हिमाचल प्रदेश में श्रृंगार रस के लोकगीतों का भी विशेष महत्त्व है! कुल्लू और कांगड़ा के प्रेम गीत कुंजू-चंचलो वैसे ही प्रसिद्ध है, जैसे हीर-रांझा या ढोला-मारु के प्रेम गीत प्रसिद्ध है!

4. झुरी गीत- (Jhuri Geet):
सिरमौर के श्रृंगार रस से भरे झुरी गीत (Jhuri Geet) कोमल भावनाओं को प्रस्तुत करते हैं। झूरी पहाड़ी भाषा के 'झूर' शब्द का स्त्रीलिंग है जिसका अर्थ है - अनुभव करना! मंडी जिले का इलाका सिराज की दासी के नाम पर पारंपरिक लोकगीत प्रचलित हैं, जो मार्मिक प्रस्तुति के लिए प्रसिद्ध है! वास्तव में 'झुरी गीत' विरह गीत होते हैं और आज भी आप पारंपरिक लोकगीत जिला के विभिन्न क्षेत्रों में गाए जाते हैं!

5. घोड़ी- (Ghodi):
विवाह की रस्म पूरी होने के बाद कन्या पक्ष द्वारा विदाई गीत गाये जाते हैं, इन रस्मो को कांगड़ा में घोड़ी कहा जाता है!

6. पिंगा दे गीत- (Pinga de Geet):
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला में झूलों के गीत गाये जाते हैं तथा घरों के आसपास झूले डाले जाते हैं! सावन के महीने में गाए जाने वाले इन झूलों के लोकगीतों को 'पिंगा दे गीत' कहा जाता है!

7. वीर पुरुषों की गाथा-(Saga of Heroic Men):
हिमाचल प्रदेश में वीर पुरुषों की गाथा पर भी लोक गीत गाए जाते हैं उदाहरण के तौर पर सिरमौर का 'हार' और बिलासपुर, कांगड़ा व मंडी का 'झेड़ा' ऐसे लोक गीत हैं जिनमें वीर पुरुषों की गाथा का बहुत ही सुंदर गायन किया जाता है!

8. छींजे- (Chhinje):
छींजे हिमाचल प्रदेश का एक प्रसिद्ध ऋतु गीत है! चैत्रमास में वर्षा के आरम्भ होने पर यह लोकगीत मण्डी जिला के विभिन्न क्षेत्र में गाए जाते हैं! छींजे चैत्र संक्रान्ति से लेकर मास के अन्त तक घर-घर में गूंज उठते हैं।

9. युगल गीत- (Couple Song:):
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला में गम्भरी, बंतो, गंगी, मोहणा, बालो तथा झंज्युटी आदि प्रसिद्ध लोक-गीत हैं! लोकगीत अक्सर युवक-युवतियों के मध्य युगल गीत के रूप में गाए जाते है!

10. समूह गान- (Group song):
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर और लाहौल-स्पीति के अपने पारंपरिक लोक-गीत हैं और अक्सर इन क्षेत्रों में गाए जाने वाले लोकगीत समूह गान के तौर पर गाए जाते हैं!


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आइए अब नजर डालते हैं हिमाचल प्रदेश के कुछ जिलों में गाए जाने वाले लोकगीत कौन-कौन से हैं?

हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों में गाए जाने वाले लोकगीत- Folk songs sung in different districts of Himachal Pradesh:

•बिलासपुर के लोक गीत- Folk Songs of Bilaspur:

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला में गम्भरी, बंतो, गंगी, मोहणा, बालो तथा झंज्युटी आदि प्रसिद्ध लोक-गीत हैं!

•चम्बा के लोकगीत- Folk Songs of Chamba:

हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में फुलमु रांझू, कुंजू चंचलो-(Kunju Chanchlo), राजा गड्डन, भुक्कू गद्दी, लच्छी, नुआला, आंचलिया, सुही गीत, सुकरत, कुंजड़ी आदि प्रसिद्ध लोक-गीत हैं!

•कांगड़ा के लोक गीत- Folk Songs of Kangra: 

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में हरि सिंह राजेय, नूरपुरे दिए खत्रेती, सुलिया तंगोई गई मेरी जान, पृथ्वी सिंह इंद्रदेयी, पिंड दिया लम्बाडा, सिथनिया, घोड़ी आदि प्रसिद्ध लोक-गीत हैं!

•मंडी के लोक गीत- Folk Songs of Mandi:

हिमाचल प्रदेश के मण्डी जिला में निरमंडा री ब्राह्मणिये, मणि राम पटवारिया, न मनसा ओ हंसा, जिया लाल बिंदिये, पंज पात्रा, छींजे और छनजोती, देवकु आदि प्रसिद्ध लोक-गीत हैं!

•कुल्लू, शिमला और सिरमौर के लोक गीत- Folk Songs of Kullu, Shimla and Sirmaur:

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, शिमला और सिरमौर में लमन, झूरी, नाटी, हार आदि प्रसिद्ध लोक-गीत हैं!


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