क्या आप जानते हैं कश्मीरी आज भी खाना बनाने में करते हैं पारंपरिक बर्तनों का इस्तेमाल,कश्मीरी खाना पकाने के बर्तन | Traditional Kashmiri Cooking Utensils in Hindi
कश्मीर घाटी में बनने वाला खाना ज्यादातर मांसाहारी होता है और खासकर शादी ब्याह या अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मांस से बने व्यंजन मेहमानों को परोसे जाते हैं घाटी में या परंपरा सदियों से चली आ रही है! यहां के बनने वाले व्यंजनों में मसालों के साथ-साथ दुनिया के सबसे महंगे मसाले केसर का खूब इस्तेमाल किया जाता है और ज्यादातर व्यंजन पारंपरिक तरीके से लकड़ी द्वारा तैयार आग से पारंपरिक बर्तनों में तैयार किया जाता है और मेहमानों और दोस्तों को खास पारंपरिक बर्तनों में ही खाना परोसा जाता है!
कश्मीर में अभी भी पारंपरिक बर्तन चलन में है और कई युवा कारीगर तांबे के बर्तन बनाने के पैसे को अभी भी संजोए हुए हैं और इन बर्तनों की घरेलू तौर पर भी काफी डिमांड है और बहुत से लोग अभी भी इन बर्तनों में खाना बनाना पसंद करते हैं और बनाकर खाते भी हैं! इसके अलावा कश्मीरी शादी ब्याह में इन बर्तनों का इस्तेमाल लड़की को गिफ्ट के तौर पर किया जाता है!
शादी ब्याह और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों में होता है इन बर्तनों का इस्तेमाल (Kashmiri utensils names)
कश्मीर घाटी में होने वाले कार्यक्रमो और शादी ब्याह में तांबे के बर्तनों में रिवायती अंदाज में लज़ीज़ पकवान बनाने के साथ तांबे के ही बर्तनों में ही मेहमानों को परोसा जाता है! कश्मीरी परंपराएं आज भी जीवंत है और रिवायती समावार, हुका, इज़्बंद सूज, खाने की प्लेट तक सभी चीजें तांबे से ही तैयार की जाती हैं और हर परिवार की तरफ से दुल्हन को खास तौर पर तांबे के बरतन भी गिफ्ट में दिए जाते हैं. हालांकि आजकल आधुनिकता का दौर है और ज्यादातर लोग स्टील और नॉन स्टिक से बने बर्तन इस्तेमाल करते हैं लेकिन भारत में अभी भी कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर खाना बनाने की पारंपरिक कला अभी भी जिंदा है और आज भी इसे पुश्तैनी जिम्मेदारी समझकर निभाया जा रहा है!
कश्मीरी कुकिंग में तांबे, लोहे, पत्थर, मिट्टी और लकड़ी से बर्तनों व उपकरणों का इस्तेमाल आज भी किया जाता है! कश्मीरी कुकिंग में खास मौकों पर अधिकतर खाना पारंपरिक बर्तनों और लकड़ी की आग पर ही तैयार किया जाता है, कई व्यंजन बनाने में तो बहुत लंबा प्रोसेस होता है और उसे बिल्कुल पारंपरिक अंदाज में ही तैयार किया जाता है जो खाने में बहुत ही लजीज और पौष्टिक होता है! आइए अब नजर डालते हैं कश्मीरी कुकिंग में इस्तेमाल होने वाले बर्तन कौन-कौन से हैं:
कश्मीरी कुकिंग में इस्तेमाल होने वाले बर्तन(Special Equipments in Kashmir in Cooking) Utensils used in Kashmiri Cooking:
डैन (Dan): कश्मीर घाटी में हिंदू और मुस्लिम दोनों घरों में खाना पकाने का काम ज्यादातर एक डैन पर किया जाता है, जो एक आयताकार मिट्टी का ओवन होता है जिसकी लंबाई लगभग 3 फीट 2 फीट और ऊंचाई डेढ़ फुट होती है! फ्यूल के तौर पर इसमें लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है और इसके निचले हिस्से में एक छेद होता है और आमतौर पर शीर्ष पर तीन छेद होते हैं, जिस पर विभिन्न बर्तनों में व्यंजन तैयार किए जाते हैं हालांकि आजकल खाना पकाने में, लकड़ी के ईंधन की कमी के कारण, एलपीजी और मिट्टी के तेल के स्टोव का उपयोग किया जाता है!
ट्रामी (Trami): कश्मीरी कुकिंग में इस्तेमाल होने वाली यह पीतल की बड़ी प्लेट हैं जिनका उपयोग भोजन परोसने के लिए किया जाता है! शादी ब्याह और अन्य कार्यक्रम में दी जाने वाली दावतों में चार लोगों के बीच एक खाने से परोसी गई ट्रामी साझा की जाती है!
लीज/देगुल/दिग्चा (Leij/Degul/Digcha): कश्मीरी पंडितों में अधिकांश शाकाहारी और मांसाहारी व्यंजन पकी हुई मिट्टी और तांबे से बने बर्तनों में पकाए जाते हैं! बर्तन को उसके आकार और आकार के अनुसार लीज/देगुल/दिग्चा कहा जाता है!
कश्मीरी कुकिंग में इस्तेमाल होने वाले इन पारंपरिक बर्तनों में मांस, पनीर, सब्जी और अन्य व्यंजन एक विशेष सुगंध देते हैं! बर्तनों के तल पर सेकिंग, और धातुओं के साथ अम्लीय और क्षारीय प्रतिक्रियाएं भी इस प्रकार समाप्त हो जाती हैं! कश्मीर में उपयोग किए जाने वाले बर्तन आमतौर पर गोल तली वाले होते हैं, जिससे व्यंजन में इस्तेमाल होने वाले मसालों और सामग्री को आपस में मिक्स करने में आसान नहीं होती है!
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गोशपर और केन (Goshpar and kaen): ये एक सपाट पत्थर और अखरोट की लकड़ी से बना लकड़ी का एक लकड़ी का हथोड़ा (Wooden Mallet) होता है, जिसका उपयोग मांस को कूटने/कीमा करने के लिए किया जाता है, आमतौर पर गोश्तबास और रिश्त बनाने के लिए इस उपकरण का उपयोग किया जाता है! लकड़ी का हथोड़ा अखरोट की मजबूत लकड़ी से बना होता है और पत्थर इत्यादि पर चलाने पर भी नहीं टूटता है!
क्रेच (Krech): कश्मीरी कुकिंग में इस्तेमाल होने वाले ये विभिन्न प्रकार के लकड़ी के चम्मच और कडछी होते हैं जिनका उपयोग मिट्टी के बर्तनों में परोसे गए व्यंजनों से खाना निकालने और डालने के लिए इस्तेमाल किया जाता है!
खलूर और दूला (Khalur and Dula): कश्मीरी कुकिंग में इस्तेमाल होने वाला यह उपकरण एक ओखल और और लकड़ी/पत्थर का डंडा (Stone Mortar and a Wooden Pestle) है जिसका उपयोग चटनी और पेस्ट को पीसने के लिए किया जाता है!
समोवर (Samovar): कश्मीरी कुकिंग में इस्तेमाल होने वाला यह एक जग के आकार का धातु का घड़ा होता है जिसका उपयोग चाय बनाने के लिए किया जाता है, जैसे कहवा और शीर चाय इत्यादि! इसके अंदर एक लंबी ट्यूब होती है जो चारकोल से भरी होती है, और चाय बर्तन में पकती रहती है!
समोवर: pics courstey विकिपीडिया |
उपरोक्त कश्मीरी कुकिंग में इस्तेमाल होने वाले बर्तनों की सूची के अलावा कुछ छोटे और जरूरी रसोई के उपकरण भी हैं जिनका इस्तेमाल भी व्यंजन बनाने में बखूबी किया जाता है आइए जानते हैं कश्मीरी कुकिंग में इस्तेमाल होने वाले अन्य रसोई उपकरणों के कश्मीरी नाम
कश्मीरी कुकिंग में इस्तेमाल होने वाले अन्य रसोई बर्तन व उपकरणों के कश्मीरी नाम:
•अथाताच - हाथ फेरने आदि के लिए कपड़ा.
•बोथलाई और छेगला - चावल आदि पकाने के लिए बर्तन.
•छन - कोलंडर या छलनी.
•छोंप - मथनी की छड़ी.
•चोंची और क्रेच - करछुल और चम्मच.
•दकना - ढक्कन.
•दमचुला - लोहे का कोयला चूल्हा.
•दुल और कोंड - धातुई और गहरे वॉश बेसिन.
•हकोल - मिट्टी का कोयला वाला चूल्हा.
•काफगीर - छिद्रित कडछी.
•क्रे - कड़ाही.
•क्रोच - आग उठाने के लिए चम्मच. (Fire spoon)
•तैव - लोहे का तवा.
•मसाला वतूर - मसाले रखने के लिए डिब्बा/मसाला बॉक्स.
•मुजीकोंड - कद्दूकस.
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